‘वीकेंड गेटअवेस अराउंड दिल्ली’ में जिस किसी जगह का नाम लिखा हो, उसका तात्पर्य सीधा सा होता है, चाहे जो हो जाए, कितना भी वंडरलस्ट का कीड़ा काटे, वहां से दूर रहो| और अगर जाना भी है तो कोशिश ऐसी हो आप वहां वीकेंड छोड़ कर बाकि चार दिन ही जा पाए|
ऐसे ही वीकेंड एस्केप के नाम पर मेरा पाला भानगढ़ से पला था| भूतो, चुड़ैलों के किस्से और खंडहरनुमा शहर किसको आकर्षित नहीं करता? एक दिन मन बना लिया की भानगढ़ चला जाए और किसी भूत को हाई हेलो बोल कर आया जाए|
भानगढ़ की कहानी काफी फिल्मी है| लोगो का कहना है की एक तांत्रिक का राजा की बेटी (कुछ वर्सन्स में पत्नी) पर दिल आ गया| तांत्रिक ने चाले चली लेकिन बुद्धिमानी में तांत्रिक की ही जान चली गई| तिलमिलाए हुए तांत्रिक ने राज नष्ट होने का श्राप दे कर भानगढ़ वासियो की धोती गीली कर दी| कुछ कहते हैं की तांत्रिक के मरते ही भानगढ़ के लोग भी बोरिया बिस्तर ले कर भाग लिए, बाकि बोलते हैं की भानगढ़ अपने निवासियों को ले कर नष्ट हो गया|
एक और कहानी है जहाँ भानगढ़ नरेश तांत्रिक से अपने महल की ऊंचाई बढ़ाने की आज्ञा लेने गए| तांत्रिक बाबा ने कहाँ की भैया ऊंचाई तो बढ़ने दे देंगे लेकिन ईमारत की परछाई उनके कुटिया पर नहीं पड़नी चाहिए| बाबा या तो एस्ट्रोफोटोग्राफर रहे होंगे या मुन्सिपलिटी के बाबू| राजा ने मंजीले बढ़ाना जारी रखा और एक दिन बाबा के गाइडलाइन, रेगुलेशंस की अवहेलना कर दी| बाबा की क्रोधित नज़र महल पर पड़ी और पल भर में सारा भानगढ़ नष्ट हो गया|
भानगढ़ की कहानी शायद एकता कपूर ने लिखी थी सो कोई कुछ भी बताता है| कोई बोलता है की राजा का भूत है, कोई बाबा के बारे में बताता है, काफी तो ये भी मानते हैं की सारा भानगढ़ ही भूत बन गया| अब कहानी चाहे जो भी हो, भानगढ़ भूतिया इलाके के नाम मशहूर हो गया| बुज़ज़फ़ीड और स्कूपव्हूप के ज्ञानियों ने इस पर ’10 things to do in Rajasthan’ और ’10 haunted places in India’ टाइप आर्टिकल्स लिखने में कोई टाइम नहीं लगाया और 2012 के आस पास Bhangarh वीकेंड डेस्टिनेशन और हॉन्टेड के नाम से मशहूर हो गया|
हमारे दिल्ली के भाई बंधुओं से हमने सीखा है की रात 2 बजे तक दारू पार्टी करने के बाद जो विचार सबसे पहले दिमाग में आए उसपे अमल कर देना चाहिए| इसीलिए शनिवार और रविवार को भानगढ़ के बाहर बीसियों लोग अपना हैंगओवर उतारते और उल्टिया करते नज़र आते हैं| हम तो बोलते हैं की भानगढ़ को भूतो के बदले उल्टियों का शहर घोषित कर देना चाहिए| टूरिज्म बढ़ जाएगा|
भानगढ़ अपने वक्त का काफी खूबसूरत राज्य रहा होगा| यहाँ इमारतों की कारीगरी और नक्काशी देखते ही बनती है| भानगढ़ के किले के बाहर शहर की समरूपता एक सामान है| दो मंज़िला इमारते, काम काज के हिसाब से रिहायशी इलाको का विभाजन और सुयोजित ड्रेनेज सिस्टम देख कर समझ में आता है की इस राज्य की महत्तवता राजपुताना में काफी ज्यादा रही होगी|
आप महल में दाखिल होते हैं और सामंने भारतीय टूरिस्ट समाज के लोगो के द्वारा छोड़े गए यादगारी आपका अभिवादन करती है| प्लास्टिक के बोतल, चिप्स के पैकेट और जाने क्या क्या काफी नहीं लगते इसलिए दीवारों पर राजू लव्स पिंकी की चित्रकारी कर के रखी हुई है|काफी वक्त हो चला था, एक भूत भी सामने नहीं आया, मिले तो अलग अलग कोनो में कपल जो थोड़ी प्राइवेसी ढूंढ रहे थे| हमने दिमाग पर ज्यादा ज़ोर नहीं दिया और ऊपर चढ़ते चले गए| थोड़ी देर घूमने के बाद एहसास हुआ की यहाँ तो भूतो से ज्यादा तो प्रेमी जोड़ो ने आतंक फैलाया हुआ है| गिन चुन कर जो कमरा खाली मिलता है उसको चमगादड़ो ने डेरा बना रखा है और उनके होने का एहसास काफी दूर से हो जाता है|
घुमते घुमते आठ बज जाते हैं और साथ की वीकेंड प्रेमियों का आगमन होने लगता है|
अगर भानगढ़ में कभी भूत रहे होंगे तो वो इंसानो के डर से भाग चुके है| आधी पियक्कड़ हालत में लोग इधर उधर गिरते पड़ते दिखाई देते हैं| अब भूत तो है नहीं, सो इंसान ही चीख पुकार मचा कर एक दूसरे को डराने की कोशिश करने में लगे होते है| इनके आने का असर कुछ ऐसा होता है की सारे प्रेमी जोड़े अपना रास्ता नाप कर निकल लेते हैं|
अभी हम किले से घूम कर निकले ही थे किसी टूरिस्ट को बन्दर ने काट लिया| गार्ड के लाख समझने के बाद भी जब उनका ग्रुप नहीं समझा तो उस बन्दर के परिवार वाले आक्रामक मूड में आ गए| गार्ड ने किसी तरह उन टूरिस्टों को बाहर किया लेकिन जाते जाते वो सुना गए की गार्ड की नौकरी नहीं रहने वाली| गार्ड ने जवाब में उनके गाड़ी की हवा निकाल दी और अपने साथियो को भी बुला लिया|
ये भूतिया फिल्मो की चीख पुकार का ट्रेंड रामगोपाल वर्मा से ही आया है जो नौ बजते बजते पूरा भानगढ़ चीख पुकार का अखाडा बन जाता है| हम भी प्रेमी जोड़ो की तरह अपना रास्ता नाप लेते हैं|
इस इंसिडेंट के बाद भी हम भानगढ़ चार बार जा चुके हैं| दो बार रात में भी रुके हैं| आखिरी ट्रिप में एक छोटा सा होटल भी किले के बहार खड़ा हो चूका था| वो क्या है ना की कभी कभी वीकेंड डेस्टनेशन्स के नाम पर हम भी बहक जाते हैं|
Your pictures are very beautiful! I wish I could understand Hindi, but unfortunately, all I could do was look at your photographs. Where is this beautiful place?
Interesting architecture. I would love to get there with my camera.
Beautiful shots! I wish i have the time and enough travel time now to explore the place!
I love how on the notice board for the monument, the ”hours of operation” are from sunrise to sunset and not specific hours. Kind of poetic, I love it !
Wow, I love all your lovely photos and you have given justice to this beautiful place. It would be great If I can understand Hindi. Nevertheless, I love all your stunning photos. Thank you so much for sharing this with us.
I know about this place but somehow as I fear all these paranormal things, I have never had the guts to visit the place. I know its a beautiful place and my camera would love it too, but still need a lot of courage to plan it
What beautiful pictures! You’ve really captured the ancient history here. I would love to go and see these temples myself. I will actually be in Rajasthan this winter so maybe I will!
Ghost or no ghost, its too deserted for me. We debated about a trip to Bhangarh a couple of years back, but decided against it. I wonder what the real reason is for all these tales.
Now my feet are itching to visit Bhangarh. Hope I’ll get to go here on my next visit to Delhi or Rajasthan!
All your pictures speak for itself how beautiful Bhangarh is! That architecture is just beautiful!